माँ की आँखों से कुछ नहीं छुप सकता । माँ की आँखें सब कुछ देख लेती हैं, समझ लेती हैं बिना बताये ही, दो बच्चों की माँ होने पर भी जिस बात को मैं समझ नहीं सकी ,जीवन के इस गहन सत्य का अनुभव मुझे हाल ही में हुआ जब अत्यधिक व्यस्तताओं के चलते, स्वास्थ्य के प्रति कुछ लापरवाही हुई और डीहाईड्रेशन की वजह से मुझे कुछ दिन हॉस्पिटल में एडमिट रहना पड़ा था । उधर मम्मी चूँकि पैरालेसिस और हार्ट पेशेन्ट हैं तो मैंने उन्हें बताना ठीक नहीं समझा । मेरी बेहद कर्मठ माँ लम्बी बीमारी के चलते डिप्रेशन का भी शिकार हो गईं हैं , तो जहाँ तक संभव हो सकता है मैं उन्हें खुश रखने का प्रयास ही करती हूँ और अपनी निजी समस्याओं से तो उन्हें बिलकुल भी अवगत नहीं कराती । हॉस्पिटल से फ़ारिग होते ही मैं सबसे पहले उनसे मिलने पहुंची । अपने अस्वस्थ होने की बात छुपाते हुए मैंने जैसे ही उनका हाल जानना चाहा , तो अपनी वृद्ध और कमजोर नजरों से उन्होंने मेरे चेहरे को ध्यान से देखा । और कुछ पलों के लिए मैं सहसा पाँचवी कक्षा में पड़ने वाली उनकी वही दस साल की गुड़िया बन गई जो कोई गलती हो जाने पर उनसे नज़रे चुरा लेती थी | अचानक उन्होंने मेरे सामने सवालों की झड़ी लगा दी | क्या बात है, तेरी तबियत ठीक नहीं है क्या ? सच बता बुखार है क्या ? तू मुझसे कुछ छुपा रही है क्या ? मैंने किसी तरह उन्हें इस बात पर आश्वस्त किया कि मैं ठीक हूँ |
लेकिन अपने घर वापस आ कर मैं सारा दिन यही सोचती रही कि चलने फिरने में असमर्थ मेरी माँ जिन्हें कभी कभी दिन और रात का भी ज्ञान नहीं रहता ,वो मेकअप में छुपाये हुये मेरे हँसते मुस्कराते चेहरे के पीछे की छोटी सी परेशानी को भी पहचान गईं | अब समझ आता है कि क्यूँ माँ की तुलना भगवान से की गई है | माँ शारीरिक रूप से कितनी भी अशक्त क्यों न हो , उसकी ममता कभी भी क्षीर्ण नहीं होती | वो सदा एक सी रहती है । अब लगता है कि वो आज भले ही मेरे लिये कुछ नहीं कर पाती लेकिन शायद ये उनकी ही प्रार्थनाओं का फल है जो आज मैं एक सुखी जीवन जी रही हूँ । अपने जीवन मैं जिस अज्ञात ऊर्जा का अनुभव करती रही हूँ वो शायद मेरी माँ ही हैं । माँ तुम हमेशा स्वस्थ रहो और अपने प्यार से सदा युहीं मेरा मनोबल बढ़ातीं रहना, युहीं हमेशा मेरे साथ बनीं रहना ..............
लेकिन अपने घर वापस आ कर मैं सारा दिन यही सोचती रही कि चलने फिरने में असमर्थ मेरी माँ जिन्हें कभी कभी दिन और रात का भी ज्ञान नहीं रहता ,वो मेकअप में छुपाये हुये मेरे हँसते मुस्कराते चेहरे के पीछे की छोटी सी परेशानी को भी पहचान गईं | अब समझ आता है कि क्यूँ माँ की तुलना भगवान से की गई है | माँ शारीरिक रूप से कितनी भी अशक्त क्यों न हो , उसकी ममता कभी भी क्षीर्ण नहीं होती | वो सदा एक सी रहती है । अब लगता है कि वो आज भले ही मेरे लिये कुछ नहीं कर पाती लेकिन शायद ये उनकी ही प्रार्थनाओं का फल है जो आज मैं एक सुखी जीवन जी रही हूँ । अपने जीवन मैं जिस अज्ञात ऊर्जा का अनुभव करती रही हूँ वो शायद मेरी माँ ही हैं । माँ तुम हमेशा स्वस्थ रहो और अपने प्यार से सदा युहीं मेरा मनोबल बढ़ातीं रहना, युहीं हमेशा मेरे साथ बनीं रहना ..............