आज सुबह से प्रेम पर लिख रहे हैं लोग , प्रेम पर्व वेलेंटाइन डे , कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं ,
ये प्रेम व्रेम कुछ नही , व्यर्थ बोझ है , दुःख को आमंत्रण देना ,
मैं कहती हूँ ठीक है , लेकिन प्रेम से क्या भागना ,
सच कहो जीवन मे हम हज़ार तरह के दुःख और तकलीफों का बोझ ढो रहे हैं,
प्रेम यदि दुःख है तो भाई एक दुःख और सही ,
प्रेम केवल किसी एक इंसान से नहीं , प्रेम सब से करो ,
जितना दोगे उतना ही बढ़ेगा , ये पूँजी खर्च करने से बढ़ती है ,
लेकिन सच सच बताओ , जब हम जीवन की संध्या में होते हैं तो
क्या यही प्रेम के पल हमें ख़ुशी नही देते ?
एक मीठी सी अनुभूति , जीवन संघर्षों से भरा है ,
बस प्रेम ही है जो ऐसे में शीतलता प्रदान करता है मन को ,
उसे भी नकारते हो , उससे भी दूर भागते हो , क्यों?
जीवन को सरल बनाना है ? तो इस झूठे आवरण को उतार फेंको ,
सभ्य समाज के सभ्य नागरिक , गुरुर से भरे हिन्दू हैं , मुस्लिम हैं ,
अमीर हैं गरीब हैं , बस इंसान नही हैं , किसी से ज़रा मिले नही कि
आवरण ओढ़ लिया ,मुखौटा लगा लिया ,
कहीं वो समझ न जाये हमारे मन की स्थिति , हमारी मनो दशा ,
काहे का आवरण , कैसा घमंड , कल जब वृद्ध हो जाओगे ,
अकेले रह जाओगे तब भी तो उतारोगे न इस आवरण को , इस मुखोटे को ,
फिर आज क्यों नही , बनावट की हंसी हँसते हो ,
क्यों प्रेमपूर्ण हो कर नही मिलते , सबके साथ एक जैसा व्यव्हार क्यों नहीं ,
ये कोई बड़ा , धनी आदमी है , इससे यूँ मिलना है ,
ये गरीब है तो इससे दूर से मिलना है , ये हमारे स्तर का है , ये नही ,
कितने दिन तक इस झूठ को जिओगे ? अंत मे अकेले ही पाओगे खुद को ,
डिज़ाइनर कपड़े, डिज़ाइनर चश्मे, जूते, घड़िया , सारा सामान ,
फिर भी खुश नही हो , क्यों, हर पल ढूँढ़ते हो किसी को, जिससे दिल की बात कह सको ,
बड़ा आसान सा तरीका है , कोई विज्ञानं नहीं , कोई गणित नही ,
जो पहला व्यक्ति मिले अब से उससे प्रेमपूर्ण हो जाओ , प्यार से सहजता से बात करो ,
जैसे हो वैसे ही रहो , कोई आवरण नही , जो कल करना है आज से करो ,
किसने कहा धन तुम्हें बड़ा बनाता है ? ताकतवर बनाता है , ,
एक क्षण में बीमारी आती है और हमारा सारा गुरुर ,
सारा अहम अस्पताल के स्ट्रेचर पर विवश होकर पड़ जाता है ,
जीवन फिर से जीने की चाह लिए हुए , उसी पल का सोच का विनम्र हो जाओ ,
सहज हो जाओ , मैं इसी को प्रेम कहती हूँ , मेरे लिए यही पूजा है , यही प्रार्थना ,
मैं सबसे प्यार से मिलती हूँ और बदले में हज़ार गुना अधिक प्रेम पाती हूँ ,
यही सबसे अधिक शक्तिशाली बनाता है , सबसे अधिक शांति देता है। .....
ये प्रेम व्रेम कुछ नही , व्यर्थ बोझ है , दुःख को आमंत्रण देना ,
मैं कहती हूँ ठीक है , लेकिन प्रेम से क्या भागना ,
सच कहो जीवन मे हम हज़ार तरह के दुःख और तकलीफों का बोझ ढो रहे हैं,
प्रेम यदि दुःख है तो भाई एक दुःख और सही ,
प्रेम केवल किसी एक इंसान से नहीं , प्रेम सब से करो ,
जितना दोगे उतना ही बढ़ेगा , ये पूँजी खर्च करने से बढ़ती है ,
लेकिन सच सच बताओ , जब हम जीवन की संध्या में होते हैं तो
क्या यही प्रेम के पल हमें ख़ुशी नही देते ?
एक मीठी सी अनुभूति , जीवन संघर्षों से भरा है ,
बस प्रेम ही है जो ऐसे में शीतलता प्रदान करता है मन को ,
उसे भी नकारते हो , उससे भी दूर भागते हो , क्यों?
जीवन को सरल बनाना है ? तो इस झूठे आवरण को उतार फेंको ,
सभ्य समाज के सभ्य नागरिक , गुरुर से भरे हिन्दू हैं , मुस्लिम हैं ,
अमीर हैं गरीब हैं , बस इंसान नही हैं , किसी से ज़रा मिले नही कि
आवरण ओढ़ लिया ,मुखौटा लगा लिया ,
कहीं वो समझ न जाये हमारे मन की स्थिति , हमारी मनो दशा ,
काहे का आवरण , कैसा घमंड , कल जब वृद्ध हो जाओगे ,
अकेले रह जाओगे तब भी तो उतारोगे न इस आवरण को , इस मुखोटे को ,
फिर आज क्यों नही , बनावट की हंसी हँसते हो ,
क्यों प्रेमपूर्ण हो कर नही मिलते , सबके साथ एक जैसा व्यव्हार क्यों नहीं ,
ये कोई बड़ा , धनी आदमी है , इससे यूँ मिलना है ,
ये गरीब है तो इससे दूर से मिलना है , ये हमारे स्तर का है , ये नही ,
कितने दिन तक इस झूठ को जिओगे ? अंत मे अकेले ही पाओगे खुद को ,
डिज़ाइनर कपड़े, डिज़ाइनर चश्मे, जूते, घड़िया , सारा सामान ,
फिर भी खुश नही हो , क्यों, हर पल ढूँढ़ते हो किसी को, जिससे दिल की बात कह सको ,
बड़ा आसान सा तरीका है , कोई विज्ञानं नहीं , कोई गणित नही ,
जो पहला व्यक्ति मिले अब से उससे प्रेमपूर्ण हो जाओ , प्यार से सहजता से बात करो ,
जैसे हो वैसे ही रहो , कोई आवरण नही , जो कल करना है आज से करो ,
किसने कहा धन तुम्हें बड़ा बनाता है ? ताकतवर बनाता है , ,
एक क्षण में बीमारी आती है और हमारा सारा गुरुर ,
सारा अहम अस्पताल के स्ट्रेचर पर विवश होकर पड़ जाता है ,
जीवन फिर से जीने की चाह लिए हुए , उसी पल का सोच का विनम्र हो जाओ ,
सहज हो जाओ , मैं इसी को प्रेम कहती हूँ , मेरे लिए यही पूजा है , यही प्रार्थना ,
मैं सबसे प्यार से मिलती हूँ और बदले में हज़ार गुना अधिक प्रेम पाती हूँ ,
यही सबसे अधिक शक्तिशाली बनाता है , सबसे अधिक शांति देता है। .....