सोमवार, 11 सितंबर 2017

मेरा ऑफिस एक पांच सितारा बिल्डिंग में था ।अपना काम निपटा कर मैं कैफेटेरिया में खिड़की के सहारे बैठी थी ।मैंने देखा सामने वाली बिल्डिंग में एक कोचिंग इंस्टिट्यूट के ठीक बाहर हमारे पड़ोसी अग्रवाल साहब की बिटिया खड़ी हुई है ।शायद उसका बैच छूटा था और वह अपने सहपाठियों के साथ कोचिंग से बाहर आई ही थी। वह लोग कुछ देर वही खड़े होकर बात करने लगे ।उसके ग्रुप में कुछ लड़के और कुछ लड़कियां थे ।अग्रवाल साहब की बिटिया ने अपने मित्र के बाल खराब कर दिए और उसने बदले में उस लड़के ने उसके सर पर चपत लगा दी।  फिर वह सब लोग ठहाका मारकर हँस दिए।कुछ देर बातें करने के बाद  वह अपने ड्राइवर के साथ कार में बैठ गई और वहां से चली गई ।मुझे उन सबकी चुहलबाजी देखकर हंसी आ गई ।मुझे अपना समय याद आया। हमारे समय में लड़कें और लड़कियों के बीच में एक अजीब से दूरी रहती थी ।कान्वेंट में पढ़ने के बाद भी हम लोग इतने स्वतंत्र नहीं थे ।घर से समाज से यहां तक स्कूल से भी हजार तरह की बंदिशें थी ।लड़के और लड़कियां अकेले में खड़े होकर बात नहीं करेंगे ग्रुप में खड़े होंगे ।एक साथ लंच नहीं करेंगे। आजकल के बच्चे लड़के और लड़की होने के फर्क को सामान्य तरीके से लेते हैं ।अगले दिन जब मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी । रसोई में जाकर जब मैं अपनी गृह सहायिका विमला को खाना बनाने के निर्देश दे रही थी तो मैंने देखा उसका चेहरा उतरा हुआ था। पूछने पर वह टाल गई फिर उसके बाद वह दो दिन काम करने नहीं आई । तीसरे दिन जब वह आई वह पहले से भी ज्यादा परेशान लग रही थी। शाम को जब वह चाय का कप लेकर मेरे पास आई तब मैंने उससे पूछा कि क्या बात है। चाय देकर वह मेरे पास बैठ गई और धीरे धीरे  सुबकने लगी। "क्या बताऊँ दीदी,  लक्ष्मी ने हमें कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।कुछ लोगों ने बताया लक्ष्मी हमारी बस्ती के एक लड़के से बस्ती के बाहर कहीं मिलने गई थी ।हमारी बस्ती में सब लोग तरह-तरह की बातें बना रहे हैं । मेरे पूछने पर उसने बताया कि ऐसे ही वह लड़का उसे रास्ते में मिल गया, लेकिन फिर दोबारा किसी ने हमें बताया कि वह दोनों एक साथ थे ।" यह कहकर विमला रोने लगी मैंने आंखें फाड़ कर कहा ,"बस इतनी सी बात ! इतनी सी बात से तू मुंह दिखाने लायक नहीं रह गई ? तूने उससे पूछा वह उस लड़के से क्यों मिली ?" "हाँ पूछा और बहुत मारा भी, कह रही थी कि वो लड़का ऐसे ही उसे रास्ते में मिल गया था लेकिन हमको शक है कि दोनों का चक्कर चल रहा है हमें तो डर है दीदीजी की लक्ष्मी कहीं भाग ना जाए उस लड़के के साथ ।" "विमला! मैं चिल्ला कर बोली, जरूरी नहीं उन दोनों का चक्कर चल रहा है ,आजकल जमाना बदल गया है । आजकल की लड़कियां बेवकूफ नहीं होती । तुम्हारी लक्ष्मी बहुत समझदार है । बचपन से उसे देख रही हूूँ। मुझे पूरा विश्वास है वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगी। तुम उसे मेरे पास लेकर आना मैं उससे बात करूँगी और समझाऊंगी।"  बात आई-गई हो गई कुछ दिन विमला सामान्य रही ,उसके बाद फिर एक दिन मैं कैफेटेरिया की खिड़की के पास बैठी थी और सामने वाली कोचिंग की तरह देखने लगी ।छुट्टी के समय अग्रवाल साहब की बेटी अपने ग्रुप के साथ बाहर आई ।आज वह और उसका एक सहपाठी एक तरफ खड़े होकर बात करने लगे । वह उसे कॉपी में कुछ दिखा रही थी ।शायद वह लोग कुछ नोट्स शेयर कर रहे थे। लेकिन बीच में वह दोनों जोर से खिलखिलाकर हँसने लगते थे। मुझे उनको देखकर हंसी आ गई ।उम्र का यह पड़ाव बहुत खूबसूरत होता है । इस उम्र में हार्मोंस का प्रभाव विपरीत लिंग के प्रति एक अजीब सा आकर्षण पैदा कर देता है । किशोर मन दिन में भी सपने देखते हैं ।बहुत ही नाजुक दौर होता है यह। मैं विमला की बेटी लक्ष्मी के बारे में सोचने लगी । यहां एक ओर धनाढ्य परिवारों की बेटियां कान्वेंट स्कूलों में पढ़ती हैं । लड़कों के साथ पार्टी में भी जाती हैं। वहीं दूसरी और मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों की लड़कियां इस तरह खुले आम लड़कों से बात नहीं करतीं। लड़को से बातें नहीं करतीं।उन पर समाज का और परिवार का कुछ अधिक ही जवाब होता है । कम उम्र  मैं ही ढेरों जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी होती हैं । सपने तो देखती हैं लेकिन उनमें उन्हें पूरा करने की हिम्मत नहीं होती ।उनकी हर हरकत पर नजर रखी जाती है और एक दिन वह अपने सपनों को दिल में ही दबाए माता पिता की मर्जी से शादी कर के पति के घर चली जाती हैं। बहुत फर्क होता है एक अमीर और गरीब की बेटी में दोनों के जीवन में और दोनों के सपनों में । कुछ दिन गुजर गए विमला फिर परेशान नहीं लगी थी पूछने पर बताया कि उसके शराबी पति ने लक्ष्मी की बहुत पिटाई की है ,लक्ष्मी को काफी चोट आई है । लक्ष्मी को काम से लौटने में देर हो गई और उसके बाद पड़ोसी ने फिर उसके पिता के कान भर दिए ।मुश्किल यह थी कि लड़का दूसरी जाति का था ।लक्ष्मी के पिता ने लड़के को जान से मारने की धमकी दी थी ।विमला ने अपनी बेटी के लिए लड़का देखना शुरु कर दिया था ।वह जल्दी उसके हाथ पीले करना चाहती थी और समाज की बातों से मुक्ति पाना चाहती थी। फिर एक दिन उसने मुझे बताया कि उसके भाई ने लक्ष्मी के लिए एक लड़का देखा है ।एक फैक्ट्री में काम करता है ,उन्ही की जाति का है । और वे लोग दहेज भी नहीं मांग रहे ।फिर एकदम विमला की जगह लक्ष्मी काम करने आई, मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसने अपना काम छोड़ दिया है अबे घर पर ही रहती है । विमला के ना आने का कारण पूछने पर उसने बताया कि वह मामा के साथ उसकी शादी की तारीख फाइनल करने गई है । वह कहते हुए रोने लगी जितना जल्दी हो सके ये लोग मुझे घर से निकालना चाहते हैं ।मैंने उससे कहा कि कैसे विमला बस्ती वालों के तानों से परेशान है और उसे डर है कि कहीं लक्ष्मी उस लड़के के साथ भाग ना जाए। लक्ष्मी ने अपने आंसू पहुंचे और बोली "हां दीदी यह सच है कि मैं उस लड़के से मिली थी एक बार नहीं कई बार वह जिन लोगों के यहां ड्राइवरी का काम करता है उनकी कपड़ा बनाने की फैक्ट्री है उसने वहां मेरे काम की बात करी थी। ₹10000 महीना मिंलती । बाबा तो दारु पीकर घर बर्बाद कर चुका है, हम पांच भाई बहन हो । मां 5000 कमाती है और मैं 3000 ।भाई बहनों की  3 महीने से स्कूल फीस नहीं भरी गई है । उनका नाम स्कूल से कटने वाला है ,मैंने सोचा कि अगर बड़ी फैक्ट्री में नौकरी मिल जाए तो हमारी सारी परेशानी दूर हो जाएगी। मैं इसीलिए किसी अच्छी नौकरी की तलाश में थी और अपने पड़ोसी से इसी बारे में बात करने के लिए मिली थी, लेकिन बस्ती के लोगों ने कुछ और ही समझा और मां बाबा के कान भर दिए ।दीदी सच में मेरा उस लड़के के साथ कोई चक्कर नहीं है ।हमारे हालात ऐसे नहीं कि मैं किसी लड़के के साथ घूमूँ फिरूं। घर का काम और फिर  भाई बहनों की जिम्मेदारी ,दीदी जी अम्मा को समझाओ ना ,मेरी शादी ना करें अभी मैं केवल 18 की हूं घर को मेरी बहुत जरूरत है ।मेरे जाने के बाद मां अकेली पड़ जाएगी भाई बहनों की की पढ़ाई छूट जाएगी फिर माँ उनको भी काम पर लगा देगी ।" मैंने उसे आश्वासन दिया कि इस बारे में विमला से बात करुंगी लेकिन मैं जानती थी कि कुछ नहीं होने वाला और मैं उसकी कोई मदद नहीं कर पाऊंगी ।अगले दिन ऑफिस से मैंने फिर अग्रवाल साहब की बेटी को देखा । वह रोज की तरह खिलखिला रही थी उसके कमर तक लंबे बाल खुले हुए थी।उसने घुटनों तक केप्री पहनी हुई थी । अपने साथ के लड़के लड़कियों के साथ उन्मुक्त हंसी हंस रही थी ।वह जिंदगी की परेशानियों से  बेफिक्र थी ।मैं सोचने लगी दो एक साल में उसका मेडिकल या फिर किसी अच्छे कोर्स में सेलेक्शन हो जाएगा । वह कॉलेज जाएगी उसके बाद अच्छी नौकरी करेगी । एकअच्छी लाइफ स्टाइल जीते हुए फिर वह या तो अपनी पसंद के या अपने माता पिता के देखे हुए किसी संपन्न परिवार के लड़के से शादी कर लेगी और सुख से रहेगी वहीं दूसरी ओर विमला की बेटी थी। मेरी आंखों के आगे उसका चेहरा घूमने लगा। वह मासूम कितने दुख और परेशानियों के बोझ तले अपना जीवन काट रही है। माता-पिता के घर भी काम किया और अब किसी गरीब लड़के के साथ शादी होकर वह ससुराल में भी काम करेगी । एक समझौते की जिंदगी  जिएगी । जाने उसका क्या होगा ? वह सुखी रहेगी भी या नहीं। पैसा इंसान के जीवन को बदल देता है कम से कम लड़कियों के मामले में तो ऐसा ही है । गरीब की बेटी होना किसी गुनाह से कम नहीं है।

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