सोमवार, 9 जुलाई 2012


जिन्दगी आज  तू खामोश क्यों है,
कुछ तो सुना ,
कुछ नया,कुछ अनसुना,
कोई सुने न सुने,
में हूँ यहाँ,
इस गुफ्तगू में ही बता ,
क्या है तेरे दिल में छुपा,
हो दर्द या कोई गिला,
 या कोई ख्वाब हो अनकहा,
जिसे भूल बैठी हूँ आज मैं ,
 कोई वादा  अगर हो तुझसे किया,
जो तू चाहती थी वो नहीं हुआ ,
 जो तू सोचती थी वो नही मिला ,
मुझे है पता तेरे दर्द का ,
तू नहीं करेगी कभी गिला  ,
मगर हो सके तो मुझे बता ,
तेरे दिल में क्या है छुपा हुआ,
कुछ  तो सुना ,
मैं हूँ यहाँ।



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