शनिवार, 22 नवंबर 2014

कहते हैं की प्रकति हमसे बातें करती है। कभी कोई मौसम ,कोई फ़िज़ा किसी पल में आकर खुद हमसे कहती हैं की आओ देखो कितनी सुंदरता भरी हुई हैं तुम्हारे चारों तरफ़। थोड़ा वक़्त तो निकालो प्रकति से वार्तालाप के लिये। अक्टूबर हमेशा से ही इतना खूबसूरत रहा है, मुझे आज भी याद है सालों  पहले भी मैं अक्टूबर की शामों को इतना ही पसंद करती थी । पता नहीं कब इस खूबसूरत महीने ने मुझे बताया की हाँ यही है वो मौसम जो मेरा पसंदीदा है। यही है वो वक़्त जब मेरा दिल कवितायेँ लिखना चाहता है, अपने सबसे पसंदीदा रंगो के कपडे पहन कर इठलाना चाहता है और चेहरे पर महसूस करना चाहता है इस गुलाबी हवा को। वक़्त बदलता है पर वो कुछ चीज़ें नहीं जो हमें हमेशा से पसंद होती हैं बिलकुल वैसे ही जैसे अक्टूबर की ये खूबसूरत शाम।

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