आज बहुत दिन बाद ब्लोगर पर जाकर अपना ब्लॉग खोला ..बिलकुल वैसा ही लगा
जैसे किसी पुराने दोस्त से मिलने के बाद लगता है ..या जैसे कोई लड़की ससुराल से
अपने मायके पहुँचने पर महसूस करती है ... असल में पहले हम सीधा ब्लॉगर पर ही लिखते
थे , तब हमारे लैपटॉप पर हिंदी फॉण्ट नहीं था ... अब इस नए लैपटॉप पर गूगल इनपुट
टूल मिल गया है तो बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी सीधा वर्ड पर धराधड लिखते चले जाओ
और जब फुर्सत मिले तो उसे ब्लोगर पर पोस्ट कर दो .....लेकिन इसके बावजूद भी लिखना
नियमित रूप से नहीं हो पा रहा है ...व्यस्तता ही इतनी रहती है ....कितनी अजीब सी
बात है न कि जो काम हमें सबसे अच्छा लगता है उसी के लिए आप को वक़्त नहीं मिल पता
है और जो काम आपको बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता जैसे घर संभालना , खाना पकाना ,
वगेरह वगेरह , उसको आप को रोज ही करना पड़ता है ...खैर जी तो करता है अपने दिल्ली
के वर्किंग डेज वाले दिनों कि तरह एक कमरा किराये पर ले लिया जाये जिसमें ज्यादा
सामान न हो ...और खाने के लिए दोनों टाइम का डब्बा लगा लिए जाये ...बाकि का बचा
हुआ सारा वक़्त लिखने पढने में लगा दिया जाये ...सुबह कितना भी जल्दी उठ जायें और
रात को कितना भी देर से सोये लेकिन अपने लिए एक घंटा नहीं निकाल पाते ...पता नहीं
वो कैसे लोग होते हैं जो दोपहर भर बिस्तर पर पड़े पड़े ऊँघते रहते हैं ....मुझे तो
अगर थोडी भी फुर्सत मिल जाये तो जाने क्या क्या कर लूं ....दिल ही दिल में बहुत
सारे प्लान बनाये फिर करते हैं लेकिन फुर्सत मिलती ही नहीं ....शायद मेरा टाइम मेनेजमेंट
बहुत ख़राब है ....जो भी है एक बार फिर कोशिश करेंगे अपनी उलझी हुई जिन्दगी को कुछ
सुलझाने की और अपने लिए थोड़ा वक़्त निकलने की .....
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