सोमवार, 11 सितंबर 2017

मेरे बच्चे धर्म के विषय में अक्सर उत्सुक रहते हैं मम्मा गणेश चतुर्थी क्यों ?नाग पंचमी क्यों ? हनुमान जी का मुख वानररूप में क्यों हैं ...गणेशजी गजराज के रूप में क्यों है ..हमारे सभी देवी-देवता अधिकांशत: पशु पक्षियों का रूप क्यों धारण किए हुए हैं ..चूहे को मूषकराज नाग को शेषनाग.. वरुण को जटायु.. बैल को नंदी ..आखिर ऐसा क्यों है ..बच्चों को इसका महत्व बताना बहुत जरूरी है  जब तक हम बच्चों की जिज्ञासा शांत नहीं करेंगे तब तक बच्चों की धर्म में रुचि जागृत नहीं होगी ...मैं जब छोटी थी तो गीता प्रेस की प्रकाशित किताबें पढ़ती थी  ..दादी मां और नानी मां की कहानियां भी सुनती थी.. मेरे बच्चों को यह सब नहीं मिला ..मैंने उन्हें बहुत से किताबें लाकर दी हैं .. मैंने उन्हें उनके कार्टून कैरेक्टर्स का उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे आप के कार्टून कैरेक्टर spider-man bat-man  होते हैं ऐसे ही हमारे भी देवी देवता हमारे सुपर हीरोज होते हैं...समय के साथ बच्चे इसका सही महत्व समझ पाएगें .. हिन्दू जियो और जीने दो के सिद्धान्त पर आदि काल से ही विशवास करते रहे हैं और पर्यावरण के प्रति समवेदनशील रहे हैं।
हिंदुंओ ने प्रराम्भ से ही पर्यावरण संरक्षण को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। दैनिक यज्ञों दुआरा वायुमण्डल को प्रदूष्ण-मुक्त रखने का प्रचलन  आदि काल से ही अपनाया हुआ है। जीव जन्तुओं को नित्य भोजन देने की भी प्रथा है। बेल, पीपल, तुलसी, नीम, वट वृक्ष तथा अन्य कई पेड पौधे आदि को भी हिन्दू संरक्षित करते हैं और प्रतीक स्वरूप पूजा भी करते हैं। हिन्दूओं ने समस्त सागरों, नदियों, जल स्त्रोत्रों तथा पर्वतों आदि को भी देवी देवता का संज्ञा दे कर पूज्य माना है ताकि प्रकृति के सभी संसाधनो का संरक्ष्ण करना हर प्राणी की दिनचर्या में पहला कर्तव्य हो।
पशु पक्षियों को देवी देवताओं की श्रेणी में शामिल कर के हिन्दूओं ने प्रमाणित किया है कि हर प्राणी को मानवों की तरह जीने का पूरा अधिकार है...सर्प और वराह को जहाँ कई दूसरे धर्मों ने अपवित्र और घृणित माना, स्नातन धर्म ने उन्हें भी देव-तुल्य और पूज्य मान कर उन में भी ईश्वरीय छवि को माना...हिन्दू हर जीव को ईश्वर की सृष्टि मानते हैं और समस्त सृष्टि को वसुदैव कुटुम्बकम – एक बड़ा परिवार। और इसीलिए सभी देवी देवताओ में जीव जंतुंओ की छवि देखने को मिलती है।

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