बुधवार, 12 जून 2013


हम कितने भी पढ़े लिखे और आधुनिक क्यों न हो जायें,  अन्दर से हम सब कहीं न कहीं अपनी जड़ों से जुड़े हुए रहते है। बचपन से हम अपने बड़ो को जिन विश्वासों और मान्यताओं के साथ जीते देखते आये हैं, धीरे-धीरे हम भी उन्हीं विश्वासों के साथ जीने लगते हैं । पता नहीं चलता कब ये विश्वास हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन जाते हैं । कुछ मान्यताएं तो हमारी जीवनशैली में कुछ इस कदर  शामिल हो जाती हैं कि उन्हें अपने जीवन से अलग करना हमारे लिए असंभव सा हो जाता है। ये विश्वास चाहें धर्म से जुड़े हो या वास्तुशास्त्र  से और या फिर हमें पीढ़ी  दर पीढ़ी बताए गए  हैं लेकिन इनका मूल उद्भव कहाँ से हुआ है ये कोई नहीं बता पाता । लेकिन हम सब फिर भी आंख बंद कर के इन पर विश्वास करते रहते हैं ।
 बिल्ली का रास्ता काटना, छींकना ,आंख का फड़कना, दूध का उफन जाना, हिचकी आना  और भी जाने कितनी बातें हैं जो हम बचपन से ही मानते चले आ रहे हैं । हम सभी अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन किसी नियत समय पर किसी घटना का घटित होना क्या हमें संकेत दे सकता है कि हमारे साथ अच्छा  होने जा रहा है या बुरा ।                                                                                                                      शंकाओं से भरे रहना मानव मन का स्वभाव है लेकिन हमारे दैनिक जीवन से जुडी इन छोटी छोटी बातों  से हम और भी चिंतित हो उठते है। शगुन  अपशगुन तो हम सभी मानते हैं लेकिन क्या सच में  अच्छे और बुरे शगुन हमें भविष्य के बारे में आगाह करने के लिए होते है। कहीं कहीं तो ये भी कहा जाता है कि चप्पल के उलटे हो जाने से या कैंची बजने से घर में झगड़ा हो सकता है, या कौए के छत पर बोलने से या बर्तन के गिरने से घर में मेहमान आते हैं । इसी तरह माना जाता हैं कि मंगलवार और ब्रहस्पतिवार के दिन डॉक्टर के नहीं जाना चाहिये या कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिये ।
 इसी तरह बुरी नज़र को लेकर हमारे समाज में ही नहीं पूरे संसार में विचार बने हुए हैं कि ये न सिर्फ मनुष्य के स्वास्थ और प्रगति पर अपना असर दिखाती हैं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करती है। यहाँ तक कि पश्चिमी देशों में लोग ईविल आई के चिन्हों वाली वस्तुओं को पहने रहते हैं । आज जब विज्ञानं ने इतनी प्रगति कर ली है फिर भी लोगों का ये विश्वास बदला नहीं है कि किसी  की नज़र लग जाने से किसी का अहित हो सकता है। यहाँ तक कि फिल्म स्टार और बड़े -बड़े सेलेब्रिटी भी नज़र से बचने के उपाय करते रहते हैं ।
इन सब बातों  का भले ही कोई वैज्ञानिक आधार न हो लेकिन फिर भी विश्वास बहुत बड़ी चीज़ है। किसी भी विचार या मान्यता को सदियों तक दोहराये जाने पर हमारा मन उस पर विश्वास करने को मजबूर हो ही जाता है। फिर कहते हैं न कि  ईश्वर को किसने देखा है ? वो भी तो एक विश्वास ही है। 

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