रविवार, 4 जनवरी 2015

                      

मोनिका के बारे में मेरी पोस्ट के बाद बहुत से मित्रों ने मेरे इनबॉक्स में आकर उसके बारे में और जानना चाहा। तो लीजिये यह है मोनिका की तस्वीर। है न बहुत प्यारी। इतनी शिक्षा लेने के बाद वह और आगे पढ़ना चाहती है। वो मुझसे बहुत कुछ कहना चाहती थी। उसकी आँखों में ढेरों सपने थे। अपने अतीत के बारे में तो वो कुछ नहीं कर सकती थी लेकिन अपने भविष्य को लेकर वो बेहद सजग थी। मैंने बातों ही बातों में उससे कहा कि मुझे लगता है कि उसका भविष्य बहुत उज्जवल है तो उसने अपनी बड़ी बड़ी आखों को फैला कर पुछा सच दीदी, मैंने जवाब दिया हाँ पगली क्यूंकि तू ईश्वर की संतान है । यूँ तो वो अब मुझसे रोज़ मिलती है लेकिन तफ़सील से बैठ कर बातें बहुत कम हो पाती हैं। पिछली मुलाकात में उसने मुझे बताया कि कैसे इंटरमीडियट पास करने के बाद जब उसने कॉलेज में दाखिला लेना चाहा तो आश्रम के संचालकों की और से उसे विरोध का सामना करना पड़ा। आगरा कॉलेज के प्रोफेसरों की मदद से पहले उसने ग्रेजुएशन किया और फिर पीजी। आमतौर पर होता यही है कि आश्रम की लड़कियों को स्कूली शिक्षा दिलाने के बाद उनकी शादी कर दी जाती है। मोनिका को इसी बात का डर था। इतना पढ़ लिख लेने के बाद वह पहले आत्मनिर्भर होना चाहती है। मैंने उसके फैसले का समर्थन किया और उससे बस ये ही कहा कि वह अपने भाग्य की स्वयं निर्माता है, अब तक की लड़ाई उसने खुद लड़ी है और आगे भी अपने फैसले उसे खुद ही लेने चाहिए। मैं चाहती हूँ उसे एक अच्छा जीवन साथी मिले लेकिन सब से पहले जरूरी है कि वह आत्मनिर्भर हो जाये, और जीवन को अपनी इच्छा के मुताबिक जिए। क्योंकि मैं जानती हूँ कि ईश्वर हर कदम पर उसके साथ है.……

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