सोमवार, 27 अप्रैल 2015

''कोई वस्तु यदि स्थिर है तो स्थिर ही रहेगी जब तक कि उस पर बाह्य बल का प्रयोग न किया जाये। 

 '' ''प्रत्येक क्रिया की समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है।''

क्या नेपाल त्रासदी के केस में हम नहीं देख रहे कि किस तरह न्यूटन के ये दोनों नियम लागू हो रहे हैं , प्रकति  स्थिर थी , शांत थी लेकिन हमारी अनावश्यक और अनुचित हस्तक्षेप के कारण उसे ये रौद्र रूप धारण करना पड़ा। प्राकतिक संसाधनो का अत्यधिक दोहन , वनों का काटना , शहरीकरण ,वन्य जीवों का ख़त्म होना यह सब  तरफ ही इशारा करते हैं कि कैसे हमने अनैतिक रूप से प्रकति का शोषण किया है। और अब प्रकति ने विरोधस्वरूप हमें इन प्राकतिक आपदाओं का सामना करने को मजबूर किया। अब हमें इसके दुष्परिणाम झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। और केवल हमें ही नहीं मानव जाति की आने वाली पीढ़ियों को भी इसके लिए सचेत रहना होगा। 


1 टिप्पणी:

  1. सचेत तो रहना ही होगा और अपने अन्दर बदलाव भी लाना होगा ... प्राकृति के निकट जाना होगा ... उसे नष्ट होने से बचाना होगा ...

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