पति की जॉब की वजह से कुछ साल पंजाब में भी रहना हुआ। ये मेरे जीवन के वो साल थे जब मेने फॅमिली के साथ बहुत ही खूबसूरत दिन बिताये। लगता था कि एक लम्बी पिकनिक है जो कभी ख़तम न हो।वाकई जिन्हें जिन्दगी जीने का शौक हो वो कुछ समय पंजाब में जाकर जरूर रहें। वहां जाकर एक सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो मैंने सीखी वो ये कि वहां के लोग खासतौर से महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत जागरूक हैं। वैसे तो पंजाब खान -पान के मामले में बहुत ही मशहूर है,पर यहाँ बात हो रही है फिटनेस की जो हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार की महिलायों के लिये एक बहुत ही गैर जरूरी सी चीज़ है। या यूँ कहिये की फिटनेस की बात आते ही हमारे यहाँ की महिलाएं कहती हैं कि ये पैसे वालो के शौक है या वक़्त बर्बाद करने वाली चीजे हैं। मैने ये देखा है कि हमारे यहाँ चाहे घर में रहने वाली महिलाएं हो या कामकाजी सभी 40-50 साल की उम्र पार करते ही कमर ,जोड़ो और मोटापे की समस्याओं से घिर जाती हैं। लेकिन मैने पंजाब में जो वृद्ध महिलाएं देखी उनमे कोई खास बीमारियाँ नहीं देखी कारण ये है कि वहां की महिलाएं न सिर्फ अपने खान पान पर ध्यान देती हैं बल्कि फिटनेस की प्रति भी उतनी ही जागरूक रहती हैं। मैं देखती थी वहां ज्यादातर लोग सुबह 4 बजे गुरूद्वारे जाते हैं,सुबह और शाम की सैर वहां के लोगो के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन अगर आप हमारे यहाँ के मंदिर और पार्क देखे तो वहां लोग तो दिखेंगे मगर गप्पे मारते हुए। सही आँकड़े तो मैं नहीं जानती मगर मैंने वहां लम्बी आयु वाले कई वृद्ध महिलाएं और पुरुष देखे जो शारीरिक रूप से बिलकुल स्वस्थ थे । लोग वहां कितने भी व्यस्त क्यों न हो पर फल और सब्जियां लेने के लिए दिन निर्धारित कर लेते है। घी और दूध भी ज्यादातर पास के गाँवों से मिल ही जाता है। जिस कालोनी में मैं रहती थी वहां घोड़ागाड़ी पर सब्जियां- फल और छोटे ट्रक में दूध आता था। जिसे देख कर मेरी सास भी चकित रह गयीऔर कहने लगीं कि पंजाब की महिलाओं की सुन्दरता का राज उनके खान-पान की आदतों में ही छुपा है।वहां रह कर मेरी बहुत सी आदतों में सुधार हुआ। हम उत्तर प्रदेश के लोग हर तीज त्यौहार पर पूरी -पकवान बनाते हैं। लेकिन धन्यवाद देती हूँ घर के आस-पास रहने वाली महिलायों को जिन्होंने टोक -टोक कर मेरा पूरी और तली -भुनी चीज़ें बनाना बंद करवा दिया। मेरा कड़ाई प्रेम तो छूटा लेकिन घर में घी और मक्खन निकलना शुरू हो गया।मेरे निद्राप्रिय पति भी जिम जाने लगे।शाम की सैर तो वहाँ के लोगों की दिनचर्या का हिस्सा है तो मेरे घुम्मकड़ी स्वभाव को उसकी भी आदत पड़ना लाज़मी था।खैर बहुत कुछ सीखा लेकिन लगता है की वहां की महिलाओं जैसी सोच अगर थोड़ी भी यहाँ की महिलाओं में आ जाये तो यहाँ भी हंसती मुस्कुराती दादियाँ और नानियाँ दिखेंगी।
मंगलवार, 19 जून 2012
पति की जॉब की वजह से कुछ साल पंजाब में भी रहना हुआ। ये मेरे जीवन के वो साल थे जब मेने फॅमिली के साथ बहुत ही खूबसूरत दिन बिताये। लगता था कि एक लम्बी पिकनिक है जो कभी ख़तम न हो।वाकई जिन्हें जिन्दगी जीने का शौक हो वो कुछ समय पंजाब में जाकर जरूर रहें। वहां जाकर एक सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो मैंने सीखी वो ये कि वहां के लोग खासतौर से महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत जागरूक हैं। वैसे तो पंजाब खान -पान के मामले में बहुत ही मशहूर है,पर यहाँ बात हो रही है फिटनेस की जो हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार की महिलायों के लिये एक बहुत ही गैर जरूरी सी चीज़ है। या यूँ कहिये की फिटनेस की बात आते ही हमारे यहाँ की महिलाएं कहती हैं कि ये पैसे वालो के शौक है या वक़्त बर्बाद करने वाली चीजे हैं। मैने ये देखा है कि हमारे यहाँ चाहे घर में रहने वाली महिलाएं हो या कामकाजी सभी 40-50 साल की उम्र पार करते ही कमर ,जोड़ो और मोटापे की समस्याओं से घिर जाती हैं। लेकिन मैने पंजाब में जो वृद्ध महिलाएं देखी उनमे कोई खास बीमारियाँ नहीं देखी कारण ये है कि वहां की महिलाएं न सिर्फ अपने खान पान पर ध्यान देती हैं बल्कि फिटनेस की प्रति भी उतनी ही जागरूक रहती हैं। मैं देखती थी वहां ज्यादातर लोग सुबह 4 बजे गुरूद्वारे जाते हैं,सुबह और शाम की सैर वहां के लोगो के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन अगर आप हमारे यहाँ के मंदिर और पार्क देखे तो वहां लोग तो दिखेंगे मगर गप्पे मारते हुए। सही आँकड़े तो मैं नहीं जानती मगर मैंने वहां लम्बी आयु वाले कई वृद्ध महिलाएं और पुरुष देखे जो शारीरिक रूप से बिलकुल स्वस्थ थे । लोग वहां कितने भी व्यस्त क्यों न हो पर फल और सब्जियां लेने के लिए दिन निर्धारित कर लेते है। घी और दूध भी ज्यादातर पास के गाँवों से मिल ही जाता है। जिस कालोनी में मैं रहती थी वहां घोड़ागाड़ी पर सब्जियां- फल और छोटे ट्रक में दूध आता था। जिसे देख कर मेरी सास भी चकित रह गयीऔर कहने लगीं कि पंजाब की महिलाओं की सुन्दरता का राज उनके खान-पान की आदतों में ही छुपा है।वहां रह कर मेरी बहुत सी आदतों में सुधार हुआ। हम उत्तर प्रदेश के लोग हर तीज त्यौहार पर पूरी -पकवान बनाते हैं। लेकिन धन्यवाद देती हूँ घर के आस-पास रहने वाली महिलायों को जिन्होंने टोक -टोक कर मेरा पूरी और तली -भुनी चीज़ें बनाना बंद करवा दिया। मेरा कड़ाई प्रेम तो छूटा लेकिन घर में घी और मक्खन निकलना शुरू हो गया।मेरे निद्राप्रिय पति भी जिम जाने लगे।शाम की सैर तो वहाँ के लोगों की दिनचर्या का हिस्सा है तो मेरे घुम्मकड़ी स्वभाव को उसकी भी आदत पड़ना लाज़मी था।खैर बहुत कुछ सीखा लेकिन लगता है की वहां की महिलाओं जैसी सोच अगर थोड़ी भी यहाँ की महिलाओं में आ जाये तो यहाँ भी हंसती मुस्कुराती दादियाँ और नानियाँ दिखेंगी।
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सही कहा, अधिकांश महिलाएँ अपने स्वास्थय पर ध्यान नहीं देती हैं. पंजाबी स्त्रियों से सीख लेनी चाहिए और जिन्दगी जीने का तरीका सुधारना चाहिए.
जवाब देंहटाएंखान पान पर बहुत कुछ निर्भर करता है ...
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