गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

आज क्रिसमस है। सुबह उठकर मैंने मन ही मन मदर मैरी को प्रणाम किया। ऐसा जीवन में पहली बार हुआ है। यूँ तो मैं अपने धर्म के अलावा भी अन्य सभी धर्मस्थलों पर सर झुकाती हूँ। लेकिन मदर मेरी के लिए मेरे मन में जो श्रद्धा जागी है, उसका एक विशेष कारण है। अंदर से मैं आज भी वही रूढ़िवादी ब्राह्मण हूँ। पर अभी हाल ही में मेरा साक्षात्कार इस सत्य से हुआ कि अगर कोई सच्चे दिल से दुआ करे तो मज़हब कहीं भी आड़े नहीं आता है। अभी पिछले दिनों की ही बात है मैं यूँही अपने बेटे के बारे में बात करने उसके स्कूल उसकी प्रिंसिपल के पास गई थी। जो एक नन हैं। सभी लोग उन्हें सिस्टर कह कर बुलाते हैं। किसी वजह से उस दिन मैं थोड़ी परेशान थी। यूँ तो मैं आमतौर पर अपनी तकलीफें किसी से शेयर नहीं करती लेकिन  सिस्टर के स्नेहिल व्यव्हार और आत्मीयता के कारण मैंने उनसे अपनी परेशानी के बारे में जिक्र किया। मेरी बात सुनकर उन्होंने कहा कि हम तुम्हारे लिए मदर मैरी से प्रार्थना करेगा । उस के बाद मैं वहां से चली आई। कुछ दिनों में मेरी उस समस्या का हल निकल निकल आया।
फिर एक दिन मैं अपने घर पर थी। बाहर हलकी-हलकी बारिश हो रही थी। तभी मैंने देखा कि सिस्टर छाता लिए घर के अंदर आ रही हैं। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे देखकर वे बोली हम बस तुमको देखने आया है कि तुम कैसा है ? सिस्टर के इन प्रेमपूर्ण शब्दों को सुनकर मेरी आँखों में आँसू आ गए। जहाँ आज के समय में रिश्ते-नाते भी स्वार्थवश मात्र एक औपचारिकता बन कर रह गए है। छोटी-छोटी बातों के लिए लोग दूसरों का दिल दिखने से नहीं चूकते। वहीँ सिस्टर ने पराई हो कर भी मेरे प्रति मातृवत व्यव्हार दर्शाया और मेरी फ़िक्र में मेरा घर ढूंढ कर मुझसे मिलने चली आईं। फिर मैंने उन्हें बताया कि उनकी प्रार्थनाओं के फलस्वरूप मेरी परेशानी का हल निकल आया है। यह जान कर वे बहुत खुश हुईं।  मुझे हमेशा ईश्वर से यह शिकायत रहती थी कि
उन्होंने मेरी माँ को बीमार क्यों कर दिया। मेरी माँ के बीमार हो जाने के बाद से मुझे लगने लगा था कि कोई मेरी चिंता करने वाला नहीं है। उस दिन मुझे ऐसा लगा कि ईश्वर मुझसे ये कहना चाह रहा कि उसे मेरी कितनी चिंता है। सिस्टर के रूप में शायद ईश्वर ही मुझे यह बताने आया था कि जब हम स्वयं को नितांत अकेला और कमजोर महसूस करते हैं तब भी वह हमारे साथ होता है। और किसी न किसी रूप में वह हमें अपनी उपस्तिथि का एहसास करता है। बस उसी दिन से मेरे मन को माँ दुर्गा और मदर मैरी में कोई फ़र्क़ नज़र नहीं आता।

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