रविवार, 15 जनवरी 2017

 ओ हेनरी की कहानी 'लास्ट लीफ ' ज्यादातर हम सभी ने पढ़ी है। एक कलाकार की ज्यादा गहराई में सोचने की आदत जब तक सकारात्मक हो तो वह उसे आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाने में कामयाब करती है। जब एक दिन उसी कलाकार को उसका अकेलापन सालने लगता है तो उसकी ज्यादा सोचने की आदत नकारात्मक सोच हीन भावना पैदा करते भी देर नहीं लगाती। वॉशिंगटन चौक के टूटे-फ़ूटे और विचित्र, 'ग्रीनविच ग्रामनामक मोहल्ले में दुनियाभर के कलाकार आकर जमा होने लगे। 
वहीँ एक मकान की तीसरी मंजिल पर सू जौर जान्सी का स्टूडियो था। जोहंसी बिमार पड़ गयी है और निमोनिया की वजह से मर रही है। वह अपने कमरे की खिड़की के बाहर एक लता (बेल) से गिरते हुए पत्तों को देखती है और निर्णय कर लेती है कि जब अंतिम पत्ता गिरेगा तो वो मर जायेगी। तब सू ने उससे ऐसा न सोचने के लिए मना किया और उसे ऐसा सोचने से रोकने की कोशिश की।
एक बेहराम नामक बुढ़ा निराश कलाकार उनके नीचे के मकान में रहता है। वह दावा करता है कि वो एक अति उत्तम रचना का निर्माण करेगा, यद्दपि उसने कभी यह कार्य आरम्भ नहीं किया। सू उसके पास जाती है और उसे बताती है कि उसकी दोस्त निमोनिया से मर रही है और जोहंसी दावा कर रही है कि जब उसके कमरे की खिड़की के बाहर की लता का अन्तिम पत्ता गिरेगा तो वह मर जायेगी। बेहराम ने इसका मजाक उडाया और इसे उसकी मुर्खता बताया लेकिन जैसा कि वह इन दो युवा कलाकारों का रक्षक था — अतः उसने जोहंसी और लता को देखने का निर्णय किया।
रात में एक बहुत ही बुरी आँधी आती है। सू खिड़कियाँ और पर्दे बंद कर देती है और जोहंसी को सोने के लिए कहती है, सुबह, जोहंसी लता को देखना चाहती है कि सभी पत्ते गिर चुके हैं लेकिन उसे आश्चर्य होता है कि अभी भी एक पत्ता बचा हुआ है।
जब जोहंसी हैरान हुई कि वह अब भी वहीं था, तो वह हठ करती है कि यह आज गिरेगा। लेकिन ऐसा नहीं होता है और वह ना ही रात को गिरता है और न ही अगले दिन। जोहंसी को मान लेती है कि यह पत्ता उसे यह दिखाने के लिए ही वहाँ रुका हुआ है कि वह कितनी निर्बल है जो उसने मृत्यू चाहने जैसा पाप किया। उसने अपने आप को जीने के लिए पुनः तैयार किया और दिनभर में बहुत सुधार आता है।
सू बोली ," मेरी भोली बिल्ली तुझसे एक बात कहनी है। आज सुबह अस्पताल में मिस्टर बेहरमैन की निमोनिया से म्रत्यु हो गयी। वह सिर्फ़ दो रोज बीमार रहा। परसों सुबह ही चौकीदार ने उसे अपने कमरे में दर्द से तड़पता पाया था। उसके कपड़े-यहां तक कि जूते भी पूरी तरह से भीगे हुए और बर्फ के समान ठंडे हो रहे थे   उसके कमरे से एक जलती हुई लालटेन एक नसैनी दो-चार ब्रश और फ़लक पर कुछ हरा और पीला रंग मिलाया हुआ मिला। जरा खिड़की से बाहर तो देख-दीवार के पास की उस अन्तिम पत्ती को। क्या तुझे कभी आश्चर्य नहीं हुआ कि इतनी आंधी और तूफ़ान में भी वह पत्ती हिलती क्यों नहींप्यारी सखी यही बेहरमैन की बेस्ट रचना थी जिस रात को अन्तिम पत्ती गिरी उसी रात उसने उसे बनाया था।" 

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